नाम: श्री गोवर्धन यादव
पिता का नाम: (स्व.) श्री भिक्कुलाल यादव
जन्म तिथि: 17 जुलाई 1944
जन्म स्थान: मुलताई (जिला बैतूल), मध्य प्रदेश
शिक्षा: स्नातक
वर्तमान निवास: छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो अपने लेखन, विचारों और संवेदनशील दृष्टिकोण से एक विशेष पहचान बना लेते हैं। श्री गोवर्धन यादव जी ऐसा ही एक आदरणीय नाम हैं, जिनकी लेखनी में गाँव की मिट्टी की सोंधी सुगंध, जनमानस की संवेदनाएं, और जीवन के गूढ़ सत्य सहजता से उतर आते हैं।
🪔 प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
श्री गोवर्धन यादव का जन्म 17 जुलाई 1944 को मुलताई (जिला बैतूल), मध्य प्रदेश में हुआ। आपके पिता का नाम स्वर्गीय श्री भिक्कुलाल यादव था।
आपने स्नातक स्तर तक शिक्षा प्राप्त की और प्रारंभ से ही हिंदी भाषा व साहित्य के प्रति गहरी रुचि रही। लेखन उनके लिए केवल एक विधा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना बन गया।
📖 साहित्यिक यात्रा का आरंभ
श्री यादव जी की साहित्यिक यात्रा जनजीवन की पीड़ा, आशा, संघर्ष और संस्कृति के गहन अवलोकन से शुरू हुई।
उनकी रचनाओं में ग्रामीण परिवेश, सामाजिक जटिलताएं, और आत्मिक अनुभव अत्यंत सहज और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत होते हैं।
अब तक वे 6 प्रमुख कहानी संग्रह, रामकथा पर आधारित 4 उपन्यास, एक यात्रा संस्मरण, और 18 ई-बुक्स प्रकाशित कर चुके हैं। उनकी रचनाएं न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सराही गई हैं।
📚 प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ
कहानी संग्रह
1. महुआ के वृक्ष – ग्रामीण जीवन के विविध रंगों की प्रस्तुति।
2. तीस बरस घाटी – समय और समाज के परिवर्तन को दर्शाती कहानियाँ।
3. अपने-अपने आसमान – व्यक्तिगत संघर्ष और मनोवैज्ञानिक अंतर्द्वंद्व।
4. भीतर का आदमी तथा अन्य कहानियाँ – आत्मनिरीक्षण और सामाजिक सच्चाई का सम्मिलन।
5. खुखियों वाली नदी – संवेदनशील कथानकों की अद्भुत संकलन।
6. बेपर आवाजें – खामोश समाज की चीखों को शब्द देती कहानियाँ।
रामकथा आधारित उपन्यास श्रृंखला
1. वनगमन
2. दण्डकारण्य की ओर
3. लंका की ओर
4. युद्ध और राज्याभिषेक
इन उपन्यासों में श्री यादव ने रामकथा को एक नवीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जहाँ केवल धर्म नहीं, बल्कि मनुष्य की आत्मिक यात्रा और संघर्ष को केंद्र में रखा गया है।
यात्रा संस्मरण
• पातालकोट — जहाँ धरती बांचती है आसमानी प्रेम पत्र
यह कृति केवल एक यात्रा विवरण नहीं, बल्कि प्रकृति, संस्कृति और लोकजीवन का एक जीवंत दस्तावेज़ है।
ई-बुक्स
उन्होंने विविध विषयों पर 18 ई-बुक्स भी प्रकाशित की हैं, जो वर्तमान डिजिटल युग में भी उनके सक्रिय साहित्यिक योगदान को दर्शाती हैं।
🏆 सम्मान एवं पुरस्कार
श्री गोवर्धन यादव को हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपार योगदान के लिए देश और प्रदेश की लगभग 30 साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
विशेषतः, 02 अक्टूबर 2024 को उन्हें मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल द्वारा “विशिष्ट हिंदी सेवक – 2024” सम्मान से विभूषित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके लेखन की गुणवत्ता को, बल्कि उनकी भाषा सेवा और जनसंवादशीलता को भी मान्यता देता है।
🌐 विशेष उपलब्धियाँ
• राजस्थान और दिल्ली के स्कूलों के पाठ्यक्रम में उनकी रचनाएं सम्मिलित की गई हैं।
• उनकी कहानियाँ और कविताएं ऊर्दू, मराठी, अंग्रेजी, सिंधी, उड़िया, तथा राजस्थानी भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।
• हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु उन्होंने थाईलैंड, मारीशस, इंडोनेशिया, मलेशिया, बाली, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे अनेक देशों की यात्राएं कीं।
• न्यू-जर्सी, अमेरिका की प्रसिद्ध लेखिका सुश्री देवी नागरानी जी द्वारा लिया गया उनका साक्षात्कार बहुचर्चित रहा।
• उन्होंने मारीशस के वरिष्ठ लेखक श्री रामदेव धुरंधर जी का साक्षात्कार भी लिया है।
• उनकी रचनाएं 1,000 से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
🎙️ संप्रति भूमिका
वर्तमान में श्री यादव जी मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, जिला इकाई छिंदवाड़ा के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। वे निरंतर हिंदी भाषा के उत्थान और नवलेखन को प्रोत्साहित करने के कार्यों में संलग्न हैं।
📞 संपर्क जानकारी
पता: 103, कावेरी नगर, छिंदवाड़ा (म.प्र.) – 480001
मोबाइल: 094243-56400
ईमेल: goverdhanyadav44@gmail.com
🌟 निष्कर्ष
श्री गोवर्धन यादव जी का जीवन लेखन, सेवा और संस्कृति की त्रिवेणी है। उन्होंने हिंदी साहित्य को केवल समृद्ध ही नहीं किया, बल्कि उसे एक संवेदनशील, समर्पित और जागरूक दृष्टि प्रदान की है।
उनकी रचनाएं वर्तमान को समझने, अतीत से जुड़ने और भविष्य की दिशा तय करने का माध्यम हैं। वे हिंदी साहित्य के उन हस्ताक्षरों में से हैं जिनका नाम समय के साथ और अधिक उज्ज्वल होता जाएगा...