सराक्यज की रोती हई प्रततमा. आ ऩन अऩन जीवन म ककसी औरत को/आदमी को अनकं बार रोत हए दखा होगा. वह क्यं रो ऩडी/ऩडा, उसक रोन क ऩीछ क्या कारण थ, आकद क बार म जाना जा सकता ह. ऱककन यकद कोई बजान मतत अथवा बजबान वस्त रोन ऱग तो इस क्या कहग? आश्चय अथवा घोर आश्चय.? शायद हम इस घोर आश्चय की श्रणी म ही रखना चाहग. 25 अगस्त 1953 कॊ अमररका म घटी घटना क अनसार सराक्यज की ऩत्थर की एक मतत रो ऩडी. उसकी आखं स कई कदनं तक ऱगातार आसओ का प्रवाह होता रहा.. इस घटना की भनक ऩडत ही सार अमररका म हऱचऱ मच गई. सकडॊ आदतमयं न मतत क आसओ का ऩरीऺण ककया. हजारं न दशन ककए, ऱाखं नास्स्तकं को भी अऩना ववश्वास ऩररवततत करन क तऱए वववश होना ऩडा. वऻातनक आधार ऩर इन आसओ का ववश्लशन ककया गया तो यह ऩाया गया कक मतत की आखं स स्त्रववत आसओ और मनष्य क आसओ म कोई अन्तर नही ह.. इस घटना का आखं दखा सत्य वववरण और उसक अद्भत प्रभावं का प्रमाण सकहत वणन डच ववद्वान फ़ादर ए.सोमस एस.एम.एम न अच्छी प्रकार स्वय मतत का ऩररऺण करक तऱखा. फ़ादर एच.जंगन न उसका अनवाद कर ववश्व क शष भागं तक ऩहचाया. घटना का ऩवारम्भ 21 माच 1953 को हआ था. उस कदन सराक्यज म कमारी एण्टोतनयटा और श ् री ऎग्ऱो जन्यसो का ऩास्णग्रहण सस्कार हआ था. इस अवसर ऩर उन्हंन अऩन अभ्यागतं को अनकानक उऩहार कदए. उस सामतग्रयं म एण्टोतनयटा को एक छॊटी सी मतत उऩहार म तमऱी, ठीक मीरा क तगरधर-गोऩाऱ की मतत की तरह, स्जस जन्यसो क भाई और भाभी न भट म दी थी. दो इच की यह छॊटी-सी मतत प्ऱास्टर की बनी हई थी, अन्दर स खोखऱी और ऊऩर एनामऱ(ऩातऱश) की हई थी. एण्टॊतनयटा को वह मतत बडी प्यारी ऱगी. कहत ह, भावनाए जब एक बार ककसी वस्त ऩर ठहर जाए अथवा आरोवऩत हो जाय तो वह प्राणवान हो उठती ह. कफ़र भावनाओ की शवि भी अऩररतमत हो जाती ह. गहस्थ मीरा का भी यही हाऱ था. जब व अऩन तगरधर-गोऩाऱ की मतत क समीऩ होती, तो नत्य करन ऱग जाती थी. उनम खो सी जाती थी ठीक यही हाऱ एण्टॊतनयटा क साथ भी हो रहा था. अब वह उसक तऱए कोई साधारण सी मरत नही थी, बस्कक वह उसकी इष्टदवी (मडना) बन गई थी. उसन उस मरत को अऩन तसरहान ऱगा तऱया था. स्जस तरह एक बाऱक ककसी कष्ट अथवा ऩीडा की अवस्था म मा को भावनाओ का बऱ दकर ऩकारता ह और वह हजार काम छॊड कर दौडी चऱी आती ह. ठीक उसी तरह एण्टॊतनयटा जब भी कभी दखी होती, अऩनी सातथन मतत स भावनात्मक वाताऱाऩ करती. अऩना दखडा सनाती. ऎसा करत हए उस अऩार प्रसन्न्ता होती/ बडा सतोष तमऱता. . एक समय ऎसा भी आया जब एण्टॊतनयटा गभवती हई. गभ जस-जस बढता गया, वस-वस उसका शारीररक कष्ट न जान क्यं बढन ऱगा. वह सख कर काटा हो गई. आख धस गई और एक कदन उसकी दखन की शवि चऱी गई. जबान न भी अब बोऱन स इन्कार कर कदया था. उस रह-रहकर तमरगी क दौर आत और वह मत तकय हो जाती. उसकी जाच कशऱ डाक्टर स करवाई गई. जाच म ऩता चऱा कक उसक भ्रण म जहर फ़ऱ गया ह और वह ऱगातार बढता ही जा रहा ह. डाक्टर समझ नही ऩा रह थ, कक ऎसी अवस्था म उसका ककस तरह इऱाज ककया जा सकता ह.?. इस ववकट ऩररस्स्थततयं म एण्टॊतनयटा अऩनी सगी-साथी मडना की मतत को अऩऱक दखती. उसकी आखं स आस झरन ऱगत. वह भाव-ववव्हऱ हो जाती और अऩन हाथ जोड्त हए मन ही मन प्राथना करती और तशकायत भर ऱहज म कहती- ह प्रभ! यकद तरी सवष्ट मगऱमय ह, तन प्यार स मनष्य को बनाया ह तो क्या तर तऱए यह उतचत ह, कक अऩन ही बन्दं को इतना कष्ट द ? कहत ह कक ऩरमात्मा बडा न्यायकारी ह. वह अऩन न्याय क तऱए जीवात्मा को बार-बार तऩाता ह, कष्ट दता ह और ववतभन्न योतनयं म ऩहचात हए जरा भी ववचतऱत नही होता, ककन्त उसका हृदय भी उतना ही ववशाऱ ह. उसक हृदय म करुणा का सागर का ऱहऱहा रहा होता ह. अऩन भिं की ऩकार सनकर उसका भी मन द्रववत हो उठता ह. व जानत थ कक एन्टॊतनयटो क प्रारब्ध म अभी और कष्ट उठाना बाकी ह, शायद इसतऱए व उसकी कष्ट भोगन क सम्बन्ध म हस्तऺऩ नही कर ऩा रह थ,ऱककन उनकी अनन्त करुणा उस कदन रुक न सकी और वह ऩत्थर की आख फ़ोडकर तनकऱ ही ऩडी. एन्टॊतनयटा क भाई जन्यसो को अऩनी ड्यटी ऩर जाना था. व उस अकऱा छॊडकर जा चक थ. ऩऱग ऩर तन्सहाय ऩडी-ऩडी, भयानक ऩीडा को झऱत हए, वह अऩऱक दृवष्ट स उस मतत ऩर अऩनी नजर गडाए हए थी. यह घटना 29 अगस्त 1953 की थी. और यह कदन एन्टॊतनयटा क तऱए सबस भारी कष्टदायक तसद्ध हआ. वह बार-बार अऩन कष्ट क तनवारण क तऱए उस मतत स मन ही मन प्राथना कर रही थी. तभी सहसा एक चमत्कार हआ. मतत क आखं स आस बहन ऱग. उस ववश्वास ही नही हआ कक उसक कष्ट स द्रवीभत होकर कोई बजान मरत रो भी सकती ह. उस ऎसा भी भ्रम हआ कक वह कोई स्वऩन दख रही ह. उसन अऩना सब कछ तनरीऺण ककया और ऩाया कक वह स्वऩनावस्था म नही दख रही ह, वरन सचमच म ही मतत की आखं स आस ढऱक रह ह. कई कदन बाद आज ऩहऱी बार उसकी चीख सनाई दी गई. वह जोर स तचकऱाई – “मडना रो रही ह”. ऩडौस की दो स्स्त्रयं न उसकी चीख सनी और दौडी चऱी आयी. इन्हंन दखा की मडना सचमच म रो रही ह. दोनो मकहऱाओ न मतत क सामन घटन टक कर प्राथना की और कफ़र बाहर तनकऱ गईं. दखत दखत सार महकऱ म खबर दौड गई. स्जसन सना वही भागा. मतत उऩहार म दन वाऱी जन्यसो की भाभी न भी आकर दखा, तब तक मतत क इतन आस तनकऱ चक थ, स्जसस तसरहान का वबस्तर काफ़ी भीग चका था. प ् रारम्भ म ऱडककया और स्स्त्रयं ही यह दृष्य को दखन दौडी. कछ ऱडक भी आय. ऩडौस म रहन वाऱी एक तसऩाही की ऩस्ि न यह दृष्य दखा और अऩन ऩतत को बतऱाया कक वाया डगऱी ओरटी म एण्टोतनयटा की मडना की आखं म आस झर रह ह. तसऩाही न जाकर सारी घटना को दखा और हडक्वाटर जाकर इसकी सचना ऩतऱस को दी. इस बीच सारा घर स्त्री-ऩरुषॊ स भर चका था. कई स्स्त्रया प ् राथनाए कर रही थी और मतत थी कक उसकी आखं स बरसन वाऱ अश्र-कण कम न होत थ. उसी कदन दोऩहर को डाक्टर माररयो मसीना, जो वाइआ कारसो म रहत थ, स्वय घटना का तनरीऺण करन ऩहच. उन्हंन जाकर मतत को उठा तऱया. दीवार जहा वह टगी थी, उस अच्छी तरह दखा कही कछ भी गीऱा या ऩानी की बद तक न थी. मतत की छाती और ऩट भी सख थ. यह जो ताज ऩहन थी, उस भी हटाकर साफ़ कर कदया. अच्छी तरह जब झाड-ऩंछ कर मतत को ऩन् रखा गया तो भी आसओ का वही प्रवाह अववरऱ गतत स ऩन् बह तनकऱा. डा.माररयो भी स्वय भावाततरक स तचकऱा उठ- “ मडना सचमच म रो रही ह”.. उन्हंन बाहर आकर सकडॊ ऱोगं को बताया-“ यह एक अऱौककक प्रसग ह, जबकक न तो आख धोका द रही ह और न ही बवद्ध साथ”. क्या ववऻान इसका कोई साथक उत्तर द सकता ह, स्जसकी हम ककऩना भी नही कर सकत ?.कवऱ इतना ही कहा जा सकता ह कक भगवान की माया सचमच म ववऱऺण ह. ” अब तक जन्यसो भी घर आ गया था. मतत क रुदन को दखकर अऩन ऩस्ि क प्रतत दद की सहानभतत कछ ऎसी उमडी कक वह भी दहाड मार कर रो ऩडा. उस कदन सकडॊ-हजारं आख मतत क साथ रोई और भगवान की प्रततमा मानो इसतऱए और रोय जा रही थी कक मझ ऩर ववश्वास करन स अच्छा होता, आऩ ऱोग ससार क द्ख और द्खं क कारण ढढत और उन्ह तमटात. उधर ऩतऱस हरकत म आ गयी थी. उच्च-ऩदातधकाररयं न मीकटग बऱाई. मीकटग म तनष्कष तनकऱा कक हो न हो इस खऱ म ककसी शरारती तत्व का हाथ होना चाकहए. उन्हंन न तय कर तऱया था कक उस मतत को यही थाना ऱाया जाय और उसकी डाक्टरी और वऻातनक ऩररऺण ककया जाय. करीब रात क दस बज ऩतऱस का एक दऱ जन्यसो क मकान ऩर जा ऩहचा. जन्यसो सकहत उस मतत को अतधकार म ऱ तऱया गया. रास्त म मतत क आसओ का इतना बडा प्रवाह था कक कक तसऩाही स ्जसक हाथ म मतत थी, उसकी भारी वदी भीग गई. थान म मतत का ऩरीऺण ककया गया. जहा स भी सम्भव था खोऱकर उस दखा, साफ़ ककया गया, ऩर आखं स मनष्य जस आस कहा स आ रह ह, इस बात का अस्न्तम तनणय नही तनकाऱा जा सका. ऩतऱस अतधकाररयं की भी आख गीऱी होन ऱगी. उन्हंन प्राथना की और मतत जहा ऱगी थी, सादर वहा ऩहचा कदया. “यह एक ऎसी ववऱऺण घटना ह स ्जसका कोई उत्तर ऩतऱस क ऩास नही ह ”. ऎसा कहकर ऩतऱस न यन्यसो को भी मि कर कदया. 30 अगस्त को सार प्रान्त म खबर तजी स फ़ऱ गई. ऱोग अखबारं और ऩत्रकारं स ऩछताछ करन ऱग. “ऱा तससीतऱया” दतनक ऩत्र क सम्ऩादक न भी इस घटना का ववस्तत तनरीऺण ककया और अऩन रवववासरीय अक म बड ववश्वास क साथ तऱखा-“ हम स्वय मडना क बहत आस दख चक ह. सायरक्यस स्टशन आगन्तक दशनातथयं क तऱए छॊटा ऩड रहा ह . इस घटना न सवत्र तहऱका मचा कदया ह, ऱगता ह ऩरमात्मा अऩन ववश्वास को प्रकट करन क तऱए ही आसओ को अतभव्यि कर रहा ह. यह वह ऺण ह, जब हम सव ववचारशीऱ ऱोग यह सोचन ऩर वववश होत ह, कक सचमच ववऻान स भी बडी कोई ताकत ससार म ह, जो कदखाई न दन ऩर भी मानवीय शवि स प्रबऱ ह. तब उसक हस्तऺऩ स ऩर कछ भी न होना चाकहए . ” इस प्रकार का एक बयान तमस्टर मासमकी न भी प्रकातशत कराया. बाद म इस मतत क दशनाथ आन वाऱ यावत्रयं की सववधा और सरऺा क तऱए जो कमटी बनाई गई, वह उसक अध्यऺ भी तनयि ककए गए. इस तरह सकडॊ प्रामास्णक व्यवियं न रोती हई मतत का आखं दखा हाऱ छाऩा. इसी कदन ऱा तससीतऱया डऱ ऱनडी” अखबार क एक रऩोटर न अखबार को टऱीफ़ोन म बताया कक “ -“मडना क आस बन्द नही हो रह ह. यह एक महान आश्चय ह स्जसक रहस्य का ऩता ऱगाया ही जाना चाकहए . यकद यह सच ह कक मतत क आसओ का कोई वऻातनक कारण नही ह तो हम उस सत्ता की खोज क तऱए भी प ् रयि करना चाकहए जो ऩदाथ ववऻान को भी तनयन्त्रण म रख सकती ह, उस ऩर स्वतन्त्र आतधऩत्य स ्स्थर कर सकती ह .” इसी तरह क अनक सझाव और ऩरामश तभन्न-तभन्न ऩशं क अनक ऱोगं न व ्यि ककए. इधर मतत क दशनं क तऱए हजारं ऱोग स्खच चऱ आ रह थ. मतत रुदन क चौथ और अस्न्तम कदन “ ऱा तससीतऱया” क इस कथन---“ मडना क दशनातथयं की भीड स्जस तजी स बढ रही ह, यह रहस्य उतना ही उऱझता जा रहा ह. यह तनवववाद ह कक वहा कोई मनगढन्त कहानी , कहऩनोकटज्म अथवा जादगरी की कोई सम्भावना नही ह, तो कफ़र आसओ क बहन का वऻातनक कारण क्या ह, उसका ऩता ऱगाया ही जाना चाकहए . ” –ऩर सरकारी तौर ऩर तीव्र प्रततकिया अतभव्यि की गई. उसी कदन दस ऩरोकहतं (प्रीस््स) क एक दऱ (डऱीगशन) न भी यह घटना दखी. फ़ादर वसन्जो न रोती हई प्रततमा क कमरा फ़ोटॊ तऱए. बाद म और भी बहत स फ़ोटॊ तऱए गए. उसी कदन इटातऱयन किस्श्चयन ऱबर यतनयन क अध्यऺ प्रो.ऩावऱो अऱबानी न भी सारी घटना की दबारा ब्योरवार जाच की, और उन्हंन ऩाया कक यह आस ककसी िवत्रम उऩकरण की दन नही ह, वास्तववक मतत क ही आस ह. आखं क अततररि मतत का कोई अग गीऱा नही तमऱा. उसी कदन सरकारी तौर ऩर एक न्यायातधकरण (किब्यनऱ) का गठन ककया गया, उसम ऩतऱस क आतधकारी, ववशषऻ और वऻातनक भी थ और उनस घटना का तनस्श्चत उत्तर दन को ऩछा गया. एक तसतम्बर 1953 का कदन. फ़ादर ब्रनो, जाच ववशषऻ और ऩतऱस अतधकारी उस मकान म ऩहच, जहा वह आस बहान वाऱी प्रततमा रखी थी. बडी मस्ककऱ स ऩतऱस की सहायता स सब ऱोग मतत तक ऩहच सक. भीड का कोई आकद था और न ही अन्त. स्जन चार व्यवियं की दख-रख म ऩरीऺण प ् रारम्भ हआ वह-(1) जोसफ़ ब्रनो ऩी.ऩी.(2) डा, मकऱ कसऱा, डाइरक्टर आफ़ माइिाग्रकफ़क कडऩाटमण्ट (3) डा फ़क कोटस्जया अतसस्टण्ट डाइरक्टर ( 4) डा.ऱड डी.उसो थ. इनक अततररि तनस सम्ऩाररसी, चीफ़ कान्स्टबऱ प्रो.जी.ऩास्स्कवऱोनो डी.फ़्ऱोरोडा, डा.वब्रकटनी (कतमस्ट) फ़ररगो उम्ब्रटॊ (स्टट ऩतऱस क वब्रगकडयर) तथा प्रसीडण्ट आकफ़स क प्रथम ऱस्फ़्टनन्ट कारमऱो रमानं भी थ. जब चारं वऻातनक और ववशषऻं न आवकयक जाच क कागज तयार कर तऱए, तब उन्हंन मतत दन क तऱए एण्टोतनयटा स प्राथना की. मतत अऱमारी म एक कागज म तऱऩटी हई थी. एण्टोतनयटा क शारीररक ऱऺण तजी स बदऱ रह थ. डाक्टर का उऩचार भी काम कर रहा था, अब तक उसकी आखं म प ् रकाश भी आ चका था और जबान का ऱडखडाना भी बन्द हो चका था. डाक्टर उस भगवान की कऩा मान रह थ, क्यंकक चार कदन ऩव तक उस ऩर ककसी दवा का प्रभाव नही हो रहा था. उसन मतत का द्वार खोऱ कदया. उि ववशषऻं न दाईं और बाईं दोनो आखं स, वऩऩट की सहायता स,“ एक-एक सी.सी.(One C.C.) आस इकठ्ठा ककए. इन्हंन सब तरफ़ स ऩरीऺण ककया ऩर आस कहा स आ रह ह, यह न जान सक, ऩर इधर इण्टॊतनयटा भी चगी हो चकी थी और आसओ की भी वह अस्न्तम कककत थी, स्जस जाच कमटी एकवत्रत कर सकी थी, बस तभी अचानक मतत की आखं स आस आन बन्द हो गए. अगऱ कदन आसओ का ववश्लषण (एनातऱतसस) ककया गया. प्रो. ऱा. रोजा न तऱखा श ् री ऩूज्य एम.डी. कास ्िो , प ् रीस ्ट आफ़ सेस्ण्टगो डी.सूडाड ररकाऱ स्ऩेन, आऩकी प्राथिना ऩर वह सब कुछ तऱख रहा हू ॉ---कमीशन ने आॉसू इकठ्ठे ककए हं , मूतति दो ऩंचं के द ् वारा जुडी हुई थी. मूतति का प्ऱास्टर वबककुऱ सूखा हुआ था, आॉसुओॊ का तनरीऺण आकि वबशऩ क्यूररयो द ् वारा तनयुि कमीशन ने ककया है, माइिो ककरणॊॊ से देखने ऩर इन आॉसुओॊ मं वे सभी तत्व ऩाये गए हं , जो तीन वषि के बच ्चे के आॉसुओॊ मं होते हं, यहाॉ तक कक क्ऱोरेकटयम के ऩानी का घोऱ, प्रोटीन व क ्वाटिरनरी साफ़ झऱक दे रहा था. मेरी ऩूणि जानकारी मं मेरे हस्ताऺर साऺी हं. हस ्ताऺर प ् रो.एऱ. रोजा बाद म मतत बनान वाऱा कारीगर भी आया. उसन अऩन हाथ स बनाई हई अनक मततयं क बार म बताया, जो बाजार म वबकी, ऩर उनम स ककसी क साथ ऎसी कोई घटना नही हई. अन्तत् वऻातनक हरान रह, कक जब तक एण्टॊतनयटा को अत्यतधक ऩीडा रही, मतत क्यं रोती रही और डाक्टरी सहायता क बावजद भी जो अच्छी न हई थी. वह कस अच्छी हई और असहाय का कष्ट दर होत ही मतत क आस क्यं बद हो गए ?. इसका कोई तनस्श्चत तनष्कष व न तनकाऱ सक ऩर उन्हंन यह अवकय स्वीकार ककया कक इस ववऻान स भी बढकर कोई भावनाओ का ववऻान अवकय ह, जब तक मनष्य उस ऩर ववश्वास नही करता, उस जानता नही, तब तक उसकी मऱ समस्याए हऱ नही हो सकती.