भी आया कि मोबाइल सेट आम लोगों की जरुरत बन गई. आज सर्व-साधारं व्यक्ति की जेब में दिखलाई देने लगा. टेलीफ़ोन अब शो-पीस की वस्तु बनने लगे.
समय के बदलने के साथ ही पुरानी टेक्नोलाजी का अन्त हो गया और उनकी जगह कंप्युटर एवं अन्य यन्त्रों ने ले ली है. किसी समय समुची दुनिया में मोर्स की सहायता से कार्य संपादित होता,अब इतिहास की वस्तु बन कर रह गया है.
आसमान को छूते टावर.
आज कोई भी ऐसा काम बाकी नही रहा है,जिसे कंप्युटर न कर दिखाता हो.
सन 2000 में डाक विभाग से दूरसंचार विभाग को अलग कर किया गया और यह एक स्वतंत्र निगम के रुप में काम करने लगा. सन 2002-03 तक करीब 36 करोड लोगो ने इसका उपयोग किया. बाद में मोबाइल फ़ोन अस्तित्व में आए. उस समय तक करीब ४६ लाख मोबाइल के उपभोक्ता बन चुके थे. इनसे करीब 27,ooo करोड रुपयों की शुद्ध राजस्व प्राप्त हुई थी. ये आकडॆ यहीं आकर रुक नहीं जाते,इसमें निरन्तर वृद्धि होती रही है. दूर संचार विभाग के अलग हो जाने के बावजूद भी डाक विभाग अपनी सेवाएं” अहर्निशं” की भावना से अपने दायित्वों का निर्वहन बखूबी कर रहा है.
जनवरी २०१२ के आंकडॊं के मुताबिक भारत विश्व का दूसरा बडा देश है, जहां मोबाइल फ़ोन धारकों की संख्या 903 करोड थी, इन्टर्नेट कनेक्शन धारकों की संख्या 121 करोड ( दिसम्बर 11 तक) तथा लैण्डलाइन फ़ोन धारको की संख्या 33.19 करोड है.( यह संख्या सेलफ़ोन के आने के बाद से निरन्तर घटी है.) इस संख्या में तेजी से इजाफ़ा हो रहा है. संभव है.अब इनकी संख्या भी बढ चुकी होगी. अधिक जानकारी लेने के लिए इन्टरनेट का प्रयोग कर ली जा सकती है.