अद्भुत क्षमता से संपन्न चमगादड़ गोवर्धन यादव.
बच्चॊं,
आपने अब तक अनेक जीव-जंतुओं को देखा होगा. आप में से कई तो ऎसे भी मिलेगें, जिन्होंने चमगादड़ के बारे में सुना जरुर होगा, लेकिन देखा नहीं होगा. यदि आप इसे देख नहीं पाए, तो कोई बात नहीं. यह है ही ऎसा प्राणी, जो दिन किसी अन्धेरी गुफ़ा में कुंभकरण की तरह सोता रहता है और शाम घिरते ही अपने भोजन की तलाश में निकल पड़ता है. दिन में यह कभी दिखाई नहीं देता,लेकिन शाम होते ही इसे आकाश में उड़ता देखा जा सकता है. इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है कि इसे सूर्य के प्रकाश में कुछ भी दिखलाई नहीं पड़ता,लेकिन जैसे-जैसे अंधकार गहराता जाता है, इसके देखने की शक्ति तेज होती जाती है.
चमगादड़ उष्ण रक्तक होने पर सक्रीय होता है और शीत रक्तक होने पर सुषुप्ति अवस्था में चला जाता है. यदि उसे रेफ़्रीजेटर में बंद कर दिया जाए तो उसके रक्त का तापमान गिर जाएगा और वह एकदम सो जाएगा. जीवविज्ञानी अपने अन्वेषण कार्य के लिए यही करते है, जब चाहते हैं,उसे शीत स्थिति में रखकर सुला देते है. साधारणतया उसके हृदय की धड़कन 180 बार प्रति मिनट होती है, किंतु जब वह सुषुप्ति स्थिति में होता है तो वह चाल घटकर मात्रा प्रति मिनट 3 रह जाती है. श्वास क्रिया 480 प्रति मिनट से घटकर मात्रा 8 रह जाती है.
सर्दियों में आमतौर पर यह बिना कुछ खाए-पिए ही सोता रहता है. इतने छॊटॆ आकार के प्राणी प्रायः दो वर्ष ही जीते हैं, पर यह बीस वर्ष तक की आयु आसानी से जी लेता है.
अँगुलियों के बीच की झिल्ली तनी रहने से वे बहुत तेज उड सकते हैं और तरह-तरह की कलाबाजियाँ दिखा सकते हैं. पूरी रफ़्तार से उड़ते हुए भी वे दाएँ-बाँए 90 के कोण पर मोड़ ले सकते हैं.
चमगादड़ के शरीर में एक अद्भुत प्रकार की “सोनार” व्यवस्था है. अंधेरे में शिकार पकड़ने के लिए उसे उसी व्यवस्था का विशेष लाभ मिलता है. चगादड़ का शरीर अल्ट्रासोनिक पाल्सिस-पराध्वनि स्पंदों के पुँज निस्तृत करता है, जो किसी वस्तु से टकराकर प्रतिध्वनि के रूप में उसी के पास लौट आती है. उसी को उसे आँखों से देखने की अपेक्षा की स्थिति से अधिक स्पष्ट जानकारी मिल जाती है. मानव निर्मित किसी भी सोनार अथवा अथवा राडार की अपेक्षा चमगादड़ का शरीर यंत्र अरबों गुना अधिक सही और अधिक सम्वेदनशील होता है.
उसके शरीर से निकलने वाली तरंगों ई अपेक्षा 2000 गुनी अधिक जोर की तरंगे उत्पन्न की गई ताकि वह यथार्थता मालूम न कर सके पर चमगादड़ उस परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ उसने अपनी फ़्रीक्वेन्सी सही रूप में पकड़ ली और कृत्रिम तरंगों के बहकाने में तनिक भी नहीं आया. एक छॊटी गुफ़ा में रहने वाले हजारों चमगादड़ बिना दूसरे से टकराए उसी आधार पर सरलतापूर्वक उड़ते रहते हैं.
१०३, कावेरी नगर, छिन्दवाड़ा(म.प्र.)-४८०-००१ 094243-56400