प्रथम अन्तरिक्ष यात्री यूरी गागरिन
विश्व का प्रथम अन्तरिक्ष यात्री रूस का यूरी गागरिन नामक व्यक्ति था. 12 अप्रैल सन 1961 को गागरिन ने “वोस्तोक-1” नामक राकेट में सवार होकर उडान भरी. उसने लगभग 108 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा की. इसके बाद 5 मई 1961 को अमेरिका निवासी शेपर्ड नामक व्यक्ति ने अन्तरिक्ष पर पहुँचने में सफ़लता प्राप्त की. शेपर्ड ने जिस अन्तरिक्ष यान मे यात्रा की थी, उसका नाम फ़्रीडम-7 था. वे लगभग 15 मिनट तक अन्तरिक्ष में रहे.
अन्तरिक्ष जगत में सबसे महत्वपूर्ण सफ़लता 21 जुलाई 1969 को मिली, जब अमेरिका के नील आर्मस्ट्रांग और एडविन अल्ड्रिन नामक व्यक्ति चाँद पर पहुँचे. इस यात्रा के लिए इन यात्रियों को विशेष रुप से प्रशिक्षित किया गया. उनके लिए खास तरह के कपडॆ तैयार करवाए गए. साँस लेने के लिए उन्हें गैस की थैलियां दी गई.
16 जुलाई 1969 को अमेरिका के फ़्लोरिडा नामक नगर से शाम को ठीक 7 बजकर 2 मिनट पर अपोलो-11 नामक यान ने तीन साहसी यात्रियों नील ए. आर्मस्ट्रांग, एडविन ई.एल्ड्रिन और माइकेल कौलिन्स को लेकर उडान भरी. यह यान बहुत द्रुतगामी था. चार दिन लगातार उडान भरने के बाद आर्मस्ट्रांग की यह आवाज” हमारा यान चाँद पर उतर गया है” आते ही सम्पूर्ण विश्व में इस समाचार से आश्चर्य और प्रसन्नता की लहर दौड गई.
इसके आगे का समाचार जानने के लिए दुनिया का हर व्यक्ति उत्सुक हो गया. 21 जुलाई को प्रातः 8 बजकर 26 मिनट पार यान का दरवाजा खोलकर नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा की सतह पर पाँव रखा. तत्पश्चात उसके 20 मिनट बाद दूसरा साथी एडविन यान से बाहर आया. तीसरा साथी माइकल यान के आदेश-कक्ष में बैठकर चन्द्रमा की परिक्रमा करता रहा.
इन दोनों यात्रियों को चन्द्रमा के धरातल पर चलने-फ़िरने में काफ़ी कठिनाई हुई. सभी प्रतिकूल परिस्थितियों का दृढतापूर्वक मुकाबला करते हुए उन्होंने वहाँ पर दो घंटॆ बिताए. इन यात्रियों ने चाँद की सतह पर अमेरिका और राष्ट्रसंघ के देशों के झंडॆ गाडॆ. आप लोगों को जानकर यह हर्ष होगा कि उनमें भारत का तिरंगा झंडा भी था. उन्होंने वहाँ अमेरिका के राष्ट्रपति के संदेश की स्टील की तख्ती भी लगाई जो इस प्रकार थी.:
“´इस स्थान पर जुलाई 1969 ई. में पृथ्वी ग्रह के मनुष्यों ने पहले-पहल अपना पैर रखा. हम समस्त मानव जाति के लिए शांति चाहते हैं”
इन यात्रियों ने वहाँ के अनेक चित्र लिए. चन्द्रमा के धरातल से रेत, पत्थर और मिट्टी के नमूने अपने साथ लाए.
अन्तरिक्ष की इस यात्रा क्रम में भारत को पहली सफ़लता 3 अप्रैल 1984 को मिली, जब स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा, दो रूसी अन्तरिक्ष यात्रियों, कर्नल यूरी मालिशेव और स्ट्रेकोलाव के साथ अन्तरिक्ष पहुँचे. यह यात्रा उन्होंने “ सोयूज टी 11 “नामक अन्तरिक्ष यान से पूरी की. यह दिन भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित करने योग्य है.
स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्माजी.
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी ने जब राकेश शर्मा से पूछा कि ऊपर से अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखता है. तो उन्होंने गर्व से अपना सीना चौडा करते हुए कहा:-“ सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्थान हमारा”. भारत सरकार ने उन्हें “अशोक चक्र” से सम्मानित किया था.
चन्द्रलोक पर मानव की यात्रा बीसवीं शताब्दी में विज्ञान का सबसे बडा चमत्कार है.