आसमान में उडते पक्षी अपनी उडान-गति का स्वयं निर्धारण करते हैं
बच्चों,
आसमान में उडते पक्षी अपनी उडान की गति को स्वयं निर्धारित करते हैं. कहां कब, कितनी गति से उडान भरना है, कहां उसमें कमी लाना है और किस गति से, किस दिशा में मुड जाना है आदि-आदि का ध्यान रखते हैं. वैसे भी आसमान में कोई गतिरोध तो होता नहीं है और न ही कोई उसकी सीमा. असीमित होता है आकाश. इस असीमित आकाश में उन्हें कब क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसकी जानकारी उन्हें प्रकृति के वरदान स्वरुप मिली हुई होती है.
एक उदाहरण से इसे समझा जा सकता है. मान लीजिए कोई कार अपनी निर्धारित गति पचास किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड रही है, जब वह कार किसी पक्षी से पन्द्रह मीटर दूर रह जाती है, तो वह फ़ुर्ती से उडान भरता है. यदि वही कार 110 किमी की रफ़्तार से दौड रही हो तो वह 75 मीटर दूर रहते ही उडान भर लेता है. इससे स्पष्ट है कि पक्षी आती हुई कार की गति का नहीं बल्कि उस सडक पर निर्धारित गति सीमा के अनुसार व्यवहार करता है. आखित यह कैसे होता है?
शोधकर्ताओं के अनुसार पक्षी इन कारॊं को शिकारी समझता हैं जो द्रुतगति से उनके तरफ़ बढ रहा होता है जो उनके लिए खतरनाक भी सिद्ध हो सकता है. शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि मौसम का असर भी इस बात पर पडता है कि पक्षी कार के कितने पास आने पर उड जाएंगे.?. आम तौर पर वसंत के मौसम में वे कार को ज्यादा नजदीक आने देते हैं जबकि शरद ऋतु में वे ज्यादा सावधानियां बरतते हैं. इसके पीछे दो प्रमुख कारण हो सकते हैं. पहला तो यह कि वसंत ऋतु में पक्षी वैसे ही फ़ुर्तीला होता है और कार के पास आने तक बैठकर इंतजार कर सकता है. दूसरा यह कि वसंत में सडकों पर बैठे ज्यादतर पक्षी जो अभी शिशु हैं और हाल में ही उडना सीख रहे होते हैं, सडक के नियमों से परिचित हो रहे होते हैं. जो भी हो, समय के अनुसार वे अपना व्यवहार परिस्थितियों के अनुसार ढालने में सक्षम होते हैं.