अबूझ पहेलियाँ-
आए दिन प्रकृति जगत में एवं दैनिक जीवन में ऎसी अनेक घटनाएँ घटती रहती हैं कि जिनके कारण जानना अत्यंत कठीन होता है. घटनाएँ घटती है तो इतना तो सुनिश्चित है कि ये निरुद्देश्य नहीं होतीं उनमें कोई न कॊई रहस्य छिपा होता है. हम नहीं जान पाते यह दूसरी बात है, यदि इन्हें जाना जा सके, तो इन अबूझ जैसी लगने वाली कितनी ही पहेलियों को सरलतापूर्वक समझकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है व पिण्ड-ब्रह्माण्ड सम्बन्धों को जाना जा सकता है.
केण्ट, इंग्लैंण्ड की कुमारी मोयट ने जून 1953 में एक स्वपन देखा, जिसमे एक अजनबी उससे अपना चित्र बनाने पर जोर दे रहा था. मोयट को कुछ अटपटा-सा लगा. उसे समझ में नहीं आया कि वह व्यक्ति उससे ऎसा क्योंकर कह रहा है. उसने अनमने मन से स्मृति के आधार पर तस्वीर बनायी. देखने वालों ने बतलाया कि वह एक स्थानीय गिरजाघार के पादरी ह्यूज का चित्र है, जो अब से 25 वर्ष पूर्व दिवंगत हो चुके हैं. आज भी यह पहेली रहस्यमय बनी हुई है कि पादरी ने मोयट को अपनी तस्वीर बनाने के लिए क्यों प्रेरित किया.
इसी प्रकार की एक घटना 28 जून 1914 को इंग्लैण्ड में घटी. हेम्पशायर के पादरी डील्यानी को एक पत्र मिला, जिसमें लिखा था-“फ़ादर ! हमारी पत्नी और हम एक गहरी दुरभि सन्धि में फ़ँस चुके हैं. बचने की कोई उम्मीद नहीं बची है और आपकी सहायता की आवश्यकता है”. पादरी गहरी सोच में डूब गए कि सहायता किस प्रकार पहुँचाई जाये, कि देखते ही देखते चिठ्ठी के सारे अक्षर गायब हो गये और कोरा कागज उनके हाथ में रह गया. पादरी को बहुत आश्चर्य हुआ. काफ़ी गहराई से सोचने के बाद जब उसकी समझ में कुछ नहीं आया तो उसने उस पुर्जे को मेज पर रख दिया. ठीक दस घण्टॆ बाद उस पत्र में कुछ शब्द उभरे, जिसमें कहा गया था कि “ आर्कड्युक फ़र्डीनाण्ड एवं उनकी पत्नी की गोली मार कर हत्या कर दी गई है.” बाद में स्थानीय अखबारों के द्वारा इसकी पुष्टि भी हो गई. यह चिठ्ठी आज भी उस परिवार के पास सुरक्षित है. अचम्भा तो इस बात का है, कि आरम्भिक सूचना के माध्यम से संकेत देकर उसमें नई खबर कैसे अंकित हो गई.
मेसाचुसेट्स का जान जेकप सन 1956 में अपने मधुमख्खी पालन केन्द्र पर ही मर गया. जब वह मरा तो हजारों-लाखों की संख्याँ में मधुमक्खियाँ उसके पार्थिव शरीर के चारों ओर एक घण्टे तक मंडराती रहीं. इस दौरान मक्खियों ने किसी को भी लाश के निकट नहीं आने दिया. इसके बाद वे किसी अन्य स्थान की ओर चल पडीं और फ़िर कभी लौट कर नहीं आयीं.
ऎसी ही एक घटना आस्ट्रेलिया की है. सेम रोजर्स सिडनी में मधुमक्खियाँ पालने का धन्धा करता था. 69 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो गई. जब उसका ताबूत कब्रगाह के लिए उठा तो उसके ऊपर हजारों मधुमक्खियाँ उडती रहीं और कब्रिस्थान तक साथ-साथ चलीं. मक्खियाँ वहाँ तब तक बनी रही, जब तक मृतक को दफ़ना नहीं दिया गया. उसके बाद वे चली गईं.
न्यू हेम्पशायर में श्रीमती मेटकाफ़ नामक एक महिला रहती थी. 23 जुलाई 1961 के दिन उसके यहाँ एक विचित्र घटना घटी. वह जिस कमरे में रहती थी, उसकी दीवार गर्म होकर खूब लाल हो गई, मानो किसी ने उसे भट्टी में रखकर तपाया हो. बाद में अग्नि शमन-दस्ते ने उसकी आग बुझायी.
न्यूजर्सी अमेरिका की एक महिला को दाँतों द्वारा अचानक रेडियो-समाचार सुनाई पडने लगा. जब लोगों से उसने इस अजीबो-गरीब घटना का उल्लेख किया, तो सब ने उसकी सनक समझी और उसकी उपेक्षा कर दी, किंन्तु जब उसने रेडियो में प्रसारित हो रहे समाचारों का सार सुनाया तो सभी दंग रह गए. सचमुच उस समय वे ही समाचार प्रसारित हुए थे.,
ब्रिजयात कनेक्टोकर के एक कर्मचारी को संगीत की स्वर लहरियाँ अचानक तब सुनाई पडी, जब एक दिन उसने अपने दाँत में चांदी भरवायी, तब से रेडियो की संगीत धुन उसके कानों में गूंजने लगी, जिसका कारण अन्त तक नहीं जाना जा सका. संभवतः धातु ही ध्वनि तरंगों को ग्रहण करने का माध्यम बन गई थी.
श्रीमती वर्जीनिया किम्मी “टेक्सास” की रहने वाली थी. नवम्बर 1960 में उसके साथ एक व्यथा जुड गई कि जब भी वह गर्म पानी के सम्पर्क में आती उसे चित्र-विचित्र ध्वनियाँ सुनाई पडने लगती थीं. मेसाचुसेण्ट्स की एण्ड्रिया वेलन ने एक खरगोश पाल रखा था. जब भी वह खरगोश को पकडती तो उसकी आवाज मात्र से टेलीविजन का चैनल बदल जाता था. इस रहस्यमय प्रसंग का कोई भी विज्ञान सम्मत हल नहीं दे पाया.
कई बार लोग देखते-देखते अचानक गायब हो जाते हैं. फ़िर उनका कोई सूत्र संकेत हाथ नहीं लगता, कि वे कैसे कहाँ खो गए ?., टेनेसी का डेविड लैन्स एक दिन अपने खेत में काम कर रहा था, साथ में अन्य कृषक भी थे. कुछ घण्टॆ बाद वह न जाने कहाँ गायब हो गया ? किसी को पता न चला. कई महिनों तक उसकी दूर-दूर तक खोज की गई, पर परिणाम निराशाजनक ही रहा. ठीक एक ऎसी ही घटना का उल्लेख “स्ट्रैन्जर देन साइन्स” नामक पुस्तक में मिलता है. घटना “एन्जीकुनी” नामक एक एस्किमो बसती की है. उस बस्ती में सभी स्त्री-पुरुष और बच्चे अकस्मात कहाँ गायब हो गए, आज तक किसी को पता न चल सका. आश्चर्य की बात तो यह थी कि उनकी झोपडियाँ, कुत्ते और शिकार करने के हथियार सभी सुरक्षित थे. सिर्फ़ उन्हीं का कहीं पता नहीं था.
जुलाई 1877 में नेवादा, अमेरिका के स्प्रिंग पहाडी में एक ऎसे भीमकाय मनुष्य के टखने (ऎंकल) की हड्डी पायी गई, जिसकी लम्बाई 39 इंच थी. लगतार कई दिनों तक विशेषज्ञॊं के माथापच्ची के बाद भी पिछले किसी काल में इतने विशालकाय मनुष्य जाति के अस्तित्व की कोई जानकारी नहीं मिल सकी. फ़िर यह हड्डी किसकी हो सकती है ?. आज भी अविज्ञात है.
6 सितम्बर 1821 को मांटगोमरी में चोरी के अपराध में जान थामस को फ़ांसी की सजा दी गई. मरने से पूर्व उसने चीख-चीखकर मजिस्ट्रेट से कहा-“मैं निर्दोष हूँ, मुझ पर झूठा आरोप लगाया गया है. इसका सबूत आपको अवश्य मिलेगा. मेरे निरपराध होने का सबसे बडा प्रमाण यही होगा कि मेरी कब्र पर कभी घास नहीं उगेगी.” इतना कहकर वह मौन हो गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा. प्रार्थना समाप्त होने पर उसे फ़ांसी पर लटका दिया गया. इसके बाद लाश परिवार वालों ने दफ़ना दी. डेविस की घोषणा के अनुसार सचमुच ही उसकी कब्र पर कभी एक घास तक नहीं उगी, जबकि आस-पास के अन्य कब्रों पर ढेर सारे खरपतवार उग आए. सरकार ने आस-पास की दो फ़ुट गहरी मिट्टी कई-कई बार बदली और घास लगायी, पर एक बार भी उसमें तृण नहीं उगा. इस प्रकार उसके निर्दोष होने की बात साबित हो गई, किन्तु उसके कब्र में वनस्पति नहीं उगने की घटना किसी की समझ में नहीं आयी.
अनेक अवसरों पर पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या की घटनाएँ प्रकाश में आयी हैं. भारत के आसाम के जटीण्डा क्षेत्र में प्रतिवर्ष यह घटना घटती है. हर बार हजारों-हजार की संख्याँ में ये साल की एक निश्चित अवधि में अपने प्राणॊत्सर्ग करते हैं. ऎसा क्यों होता है ? कौन व क्यों कॊई उन्हें आत्मघात के लिए प्रेरित करता है ? शोधार्थी इसका रहस्य अब तक नहीं जान सके. इसी से मिलता-जुलता एक प्रकरण फ़्रांस का है. अक्टूबर 1846 की रात्रि को अचानक अगणित पक्षी आकाश से धरती पर गिरने लगे. गिरने के पूर्व कुछ समय तक वे ऊपर मँडराते और फ़िर एकाएक जमीन की ओर गोता लगा लेते. धरती से टकराने से उनकी मौत हो जाती. उस रात पेट्रे गाँव की पूरी धरती चिडियों में ढक गई थी. जुलाई 1896 में लुइशियाना में भी सामूहिक रुप से पक्षियों ने आत्मोसर्ग किया था
प्रकृति भी कोई कम रहस्यमय नहीं है. इसमें असंख्य ऎसी विलक्षणताएँ भरी पडी हैं, जिनका रहस्य वैज्ञानिक अभी तक जान नहीं पाये..